अब हर सेना जवान को करना होगा ये खतरनाक टेस्ट – जानिए पूरा सच

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भारतीय सेना ने अपनी शारीरिक दक्षता परीक्षण प्रणाली (Physical Efficiency Test System) में बड़े बदलाव किए हैं। ये बदलाव केवल जवानों की ताकत और फिटनेस को परखने के लिए नहीं हैं, बल्कि आज की जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों (जैसे मोटापा, शुगर आदि) और आधुनिक युद्ध की ज़रूरतों को देखते हुए किए गए हैं।
अब इन टेस्ट से सिर्फ शारीरिक ताकत ही नहीं, बल्कि अनुशासन, दृढ़ता और मानसिक मजबूती भी जाँची जाएगी।

BPET और PPT: हर 3 महीने में टेस्ट

BPET (Battle Physical Efficiency Test) अब सेना का एक जरूरी हिस्सा बन गया है। इसमें 4 मुख्य टेस्ट शामिल हैं:

  • 5 किलोमीटर दौड़ – जवान की सहनशक्ति और समय पर काम करने की क्षमता को परखता है।
  • 60 मीटर तेज दौड़ (स्प्रिंट) – जवान की फुर्ती और तुरंत प्रतिक्रिया देने की ताकत को दिखाता है।
  • रस्सी चढ़ाई (सीधी और आड़ी) – ताकत, संतुलन और शरीर के नियंत्रण की परीक्षा।
  • 9 फीट गहरी खाई पार करना – मुश्किल हालात में जल्दी निर्णय लेने की क्षमता को मापता है।

PPT (Physical Proficiency Test) में अब ज्यादा कठिन और विविध टेस्ट जोड़े गए हैं:

  • 2.4 किलोमीटर दौड़ – जवान की सामान्य फिटनेस को जांचता है।
  • 5 मीटर शटल रन – दिशा बदलने की गति और दौड़ने की तकनीक को परखता है।
  • पुश-अप्स, चिन-अप्स और सिट-अप्स – ऊपरी और निचली मांसपेशियों की ताकत के लिए जरूरी।
  • 100 मीटर स्प्रिंट – युद्ध जैसे हालात में तेज रफ्तार से दौड़ने की क्षमता का परीक्षण।

इन सभी टेस्ट को हर 3 महीने में किया जाएगा और इसका स्कोर अधिकारियों की Annual Confidential Report (ACR) में शामिल किया जाएगा। इससे तय होगा कि कौन अधिकारी प्रमोशन के लायक है।

Route March और Speed March परीक्षा

अब हर जवान को हर 6 महीने में दो खास मार्च पूरे करने होंगे:

  • 10 किलोमीटर स्पीड मार्च – कम समय में तय दूरी पार करनी होती है।
  • 32 किलोमीटर रूट मार्च – भारी किट के साथ बिना रुके लंबी दूरी तय करना होता है। यह मानसिक और शारीरिक दोनों मजबूती को जांचता है।

जहां सुविधा है, वहां 50 मीटर तैराकी टेस्ट भी हर साल जरूरी किया गया है। इसका मकसद यह है कि जवान हर स्थिति में लड़ाई के लिए तैयार रहें।
अब इन टेस्ट की निगरानी ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी की देखरेख में होगी। उनके साथ दो कर्नल और एक मेडिकल अधिकारी भी रहेंगे ताकि टेस्ट निष्पक्ष हो।

APAC कार्ड और अनुशासन के नियम

सभी अधिकारियों के लिए Army Physical Fitness Assessment Card (APAC) अनिवार्य कर दिया गया है। इसमें सभी टेस्ट के स्कोर रिकॉर्ड होंगे और इसे 24 घंटे के अंदर हेडक्वार्टर में जमा करना होगा।

अगर कोई अधिकारी फिटनेस स्टैंडर्ड पूरा नहीं कर पाता, तो उसे 30 दिन का समय सुधार के लिए दिया जाएगा। अगर फिर भी सुधार नहीं होता, तो Army Regulation 15 और Army Act 22 के तहत कार्रवाई हो सकती है, जिसमें पदावनति या नौकरी जाने तक की स्थिति बन सकती है।

निष्कर्ष

भारतीय सेना का यह कदम यह दिखाता है कि अब केवल ताकतवर होना काफी नहीं, बल्कि अनुशासन, मानसिक संतुलन और आधुनिक युद्ध के लिए तैयार रहना भी ज़रूरी है। ये बदलाव सेना को और ज्यादा मजबूत और प्रोफेशनल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।

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